कोल जनजाति साल भर कई तरह के त्यौहार मनाती है, जिनमें से कई त्यौहार उनके पारंपरिक रीति-रिवाजों और मान्यताओं पर आधारित होते हैं। कोल जनजाति द्वारा मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार हैं:
सरहुल
सरहुल: यह त्यौहार वसंत ऋतु की शुरुआत के उपलक्ष्य में अप्रैल में मनाया जाता है। यह वह समय है जब जनजाति देवी-देवताओं से भरपूर फसल के लिए प्रार्थना करती है। लोग अपने घरों को फूलों से सजाते हैं और देवताओं को चढ़ाने के लिए विशेष खाद्य पदार्थ बनाते हैं।
कर्मा: सितंबर में मनाया जाने वाला यह त्यौहार मानसून के मौसम के खत्म होने की याद में मनाया जाता है। यह जनजाति के लिए भरपूर फसल के लिए आभार व्यक्त करने और समृद्ध भविष्य के लिए प्रार्थना करने का समय है। लोग देवी-देवताओं को देने के लिए विशेष खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ तैयार करते हैं।
दशहरा: अक्टूबर में मनाया जाने वाला यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह समय जनजाति के लोगों के एकत्र होने और समुदाय की भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रार्थना और अनुष्ठान करने का होता है।
सोहराई: दिसंबर में मनाया जाने वाला यह त्यौहार साल के अंत की याद में मनाया जाता है। यह जनजाति के लिए पिछले साल के लिए आभार व्यक्त करने और समृद्ध भविष्य के लिए प्रार्थना करने का समय है। लोग देवी-देवताओं को देने के लिए विशेष खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ तैयार करते हैं।
कोल जनजाति इन त्यौहारों को बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाती है, जिसमें पारंपरिक संगीत और नृत्य और पूरे समुदाय की भागीदारी होती है। यह त्यौहार जनजाति के पारंपरिक हस्तशिल्प के साथ-साथ उनकी पारंपरिक कला, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन भी करता है।
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